Tuesday, May 21, 2024
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गाँव के लोगों ने खुद बनवाया पाण्डु नदी पर पुल

bridge19 फरवरी को हो रहे मतदान का बहिष्कार करेंगे। 
वर्षो से सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहे।
20000 की आबादी वाले गाँव के सभी ग्रामीण आहत हैं।
नेताओ ने सिर्फ वोट बैंक के लिए ग्रामीणों को इस्तेमाल किया।

कानपुर, चंदन जायसवाल। लोक तंत्र का महा उत्सव में सभी पार्टियों के नेता निकल पड़े है। लोक लुभावने वायदों का पिटारा लेकर जनता के बीच उनका मसीहा बनने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे है, लेकिन जनता जागरूक हो चुकी है नेताओ की सियासी चालो में नहीं फसने वाली। बड़ा दुर्भाग्य है, कि कानपुर का नेशनल दिल्ली हाइवे के किनारे 1 दर्जन से अधिक गाँव हैं जिनकी आबादी लगभग 20000 से अधिक है लेकिन रास्ता तक नहीं है यहाँ पर ग्रामीणों ने नेताओं के खोखले वायदों से ऊबकर पाण्डु नदी पर खुद चंदा कर पुल बनवा कर मसीहा बनने वाले नेताओं को तमाचा मार दिया। हालाँकि कई स्कूली बच्चों की जान इस पाण्डु नदी में गिर कर चली गयी है। लेकिन इस बार ग्रामीण बहुत आहत है अपने को ठगा हुआ मान रहे है और इस बार जब तक किये गए वायदे पूरे नहीं किये जाते तब तक 19 फरवरी को हो रहे मतदान का बहिष्कार करेंगे।
कानपुर के नेशनल हाइवे किनारे मौजूद पाण्डु नदी से सटे आधा दर्जन गाँव पनका, वनपुरवा, छीतेपुर, गंभीरपुर, भैला मऊ, भीमसेन, मनी पुर्वा आदि गाँव के लोगों को पिछले कई वर्षो से एक पुल की जरुरत थी गाँव में आने का कोई रास्ता नही था। लोग किसी तरह नाव के सहारे नेशनल हाइवे पर आते थे। वर्षो से यहाँ नेता आते रहे झूठा आश्वासन देकर पिछले 50 सालो से पुल के नाम पर वोट लेते रहे लेकिन अब लोंगो का सब्र का पैमाना टूट गया। सालों पहले ग्रामीणों ने आपस में चंदा कर नदी के ऊपर लकड़ी का पुल बनवाया। अब इस पुल पर नेता आधा दर्जन गाँव में वोट मांगने आते और पक्का पुल बनवाने का कोरा वायदा सालो से करते रहे। पाण्डु नदी के ऊपर बने लकड़ी का पुल तेज बहाव और बारिश में बह जाता था ग्रामीण इसे सही करने में जुट जाते थे। लेकिन ग्रामीणों ने अब आपस में चंदा कर पक्का पुल बनवा लिया। जिस पुल पर अब उन्हें किसी नेता की मदद की दरकार नही। नाराज ग्रामीणों की माने तो 12 गाँव के लोगों के लिए आजादी के बाद से आज तक कोई रास्ता तक नहीं है कोई बीमार हो जाए तो एम्बुलेंस तक नहीं पहुँच सकती 20 किलो मीटर घूम कर जाना पड़ता है, स्कुल में पढने वाले बच्चों को इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है कई बच्चे अब तक यहाँ से पांडु नदी में गिर चुके है लेकिन नेताओं को याद आती है तो सिर्फ चुनाव के समय। जीत जाने के बाद ऐसे गायब हो जाते है जैसे गधे के सिर से सींग, पिछले 50 वर्षों से सिर्फ हमें सुविधाओं के नाम पर वायदो का झूठा आश्वासन देने के सिवा कुछ नहीं मिला। लेकिन अब बारी हमारी है। अबकी बार इनके छलावे में नहीं फसने वाले अबकी बार सभी लोग मतदान का बहिष्कार करेंगे।